Monday, August 30, 2010

देवदास


हो गए बेहोश मयखाने, तो जलील, तेरी गली होनेकी फुरसत न रहेगी
हो गए खामोश गमेंदरीया, तो साहिल तेरी गली होनेकी, जरूरत न रहेगी
है कहाँ किस्मत दर्द्के मारों की, जीन्दगी कमबख्त रुखसद ही नहीं करती
बात कहाँ है अब अपने परायों की, मौत भी तो हमसे महोब्बत नहीं करती

सायगल, दीलीपकुमार और शाहरुख़खान का देवदास देखकर :>))

No comments:

Post a Comment