Sunday, July 11, 2010

उनकी महक

उड़ाते है मज़ाक यार बचपनके, करते है जब हम बात बीछ्डे प्यारकी,
ढुंढ़ोगे कहा अब इस भीडभाड में, आंखोकी रोशनी,चमक भी चली गयी
नादाँ है वो क्या समजे, जरुरत हमें नहीं इन कमबख्त आंखोकी,
अरसा गुजर गया लेकीन, इस दिलों दीमागसे उनकी महक नहीं गयी

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