Wednesday, February 1, 2017

अलविदा

पहले तो वो मेरे पास आया
मुझे तो मालुम भी न पड़ा
लोगों ने बताया
बड़े क़िस्मत वाले हो
तुम पर तो वो महेर्बां
हो गया
छोड़कर चला गया
जैसे कि आया ही नहीं

जब जाना कि वो कीसका
ज़िक्र कर रहे थे
तो मैंने सबसे कहा
ठीक बात है
आख़ीर जीते जी कीसीको तो
मुझ पर महेर्बां होना ही था
जैसे ही उम्र बढ़ती चली
उसकी महेरबानीका बोझ
मेहसुस होने लगा
दर्दसे दबने लगा
मायूसीसे चूरचूर होने लगा
जो पराये थे
दुआ करने लगे
अपने भी
वही करने लगे
कोई जींदगीकी
कोई मौतकी
मै ने भी आवाज़ दी
उसको कहा
साथ ले जाना अबकी बार
खाली हाथ न जाना
सबको ख़ुश रखनेकी
कोशिश करते करते
अब मैं थक गया हुँ
तूट गया हुँ
वैसे भी अलविदा
सब  कहने
बेक़रार है

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