बोलीवुड
लगाके आग पुरे बदनमें पर्दों के जरिये
बुझाने चले उसे मोमाबत्तियोंके जरिये
कहो ना फ़िल्में है दरपन समाजका
हकीतको ना बदलो विकृत ड्रामे के जरिये
चलो मानो आ गया है वक्त पलटावका
पर नहीं संस्क्रितीके बलिदानके जरिये
रहो क्यों सीमित मसाला फिल्मों तक ?
आता है बदलाव क्या आईटम गीतके जरिये?
ज़रा झाखो अपने ही गिरेबान के भीतर
क्या पाया है आपने लोगों के प्यारके जरिये?
हर चार मसाला फिल्मकी सफलता पश्चाद
करेंगे कोशीश बदलावकी, क्या पांचवीके जरिये ?
-भरत शाह
लगाके आग पुरे बदनमें पर्दों के जरिये
बुझाने चले उसे मोमाबत्तियोंके जरिये
कहो ना फ़िल्में है दरपन समाजका
हकीतको ना बदलो विकृत ड्रामे के जरिये
चलो मानो आ गया है वक्त पलटावका
पर नहीं संस्क्रितीके बलिदानके जरिये
रहो क्यों सीमित मसाला फिल्मों तक ?
आता है बदलाव क्या आईटम गीतके जरिये?
ज़रा झाखो अपने ही गिरेबान के भीतर
क्या पाया है आपने लोगों के प्यारके जरिये?
हर चार मसाला फिल्मकी सफलता पश्चाद
करेंगे कोशीश बदलावकी, क्या पांचवीके जरिये ?
-भरत शाह
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