Sunday, January 27, 2013

बोलीवुड

बोलीवुड

लगाके आग पुरे बदनमें पर्दों के जरिये
बुझाने चले उसे मोमाबत्तियोंके जरिये

कहो ना फ़िल्में है दरपन समाजका
हकीतको ना बदलो विकृत ड्रामे के जरिये

चलो मानो आ गया है वक्त पलटावका
पर नहीं संस्क्रितीके बलिदानके जरिये

रहो क्यों सीमित मसाला फिल्मों तक ?
आता है बदलाव क्या आईटम गीतके जरिये?

ज़रा झाखो अपने ही गिरेबान के भीतर
क्या पाया है आपने लोगों के प्यारके जरिये?

हर चार मसाला फिल्मकी सफलता पश्चाद
करेंगे कोशीश बदलावकी, क्या पांचवीके जरिये ?
-भरत शाह

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