कारवां कभी रुकता नहीं
थके पैरोंमें दम फूंकता नहीं
गिरे हुओं को ऊठाने झुकता नहीं
रिश्ता उसका सिर्फ मंज़िल से
वास्ता ओरों से कभी रखता नहीं
थके पैरोंमें दम फूंकता नहीं
गिरे हुओं को ऊठाने झुकता नहीं
रिश्ता उसका सिर्फ मंज़िल से
वास्ता ओरों से कभी रखता नहीं
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